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Friday, April 29, 2022

Groups in Tally

Groups in Tally

what is Groups in Tally:-
Groups एक तरह का Collection होता है क्योंकि Tally में Ledger को बनाते समय हमको उसे एक Group में रखना होता है। Tallyमें सभी Group का अपना एक Particular Nature Define किया गया है। Tally में कुल 28 Groups होते है और जिनमे 15 Primary Group होते है और 13 Secondary Group होते है।
GOT --> Accounting Info -->Groups -->Multiple Groups Display -->all items
• Primary Group:-
यह टैली का PRE Define Group होता है जिसके माध्यम से Ledger को Particular Nature wise बाँटते हैं।
•Secondary Group:
इसके माध्यम से Primary Group को वर्गीकृत करते हैं जो PRE Define होता है साथ ही आवश्यकता अनुसार हम नया Secondary Group किसी Primary Group या Secondary Group के अंतर्गत बना भी सकते हैं।

1. Capital Account:
जो भी कोई Businessman जब bussines को शुरू(start) करने के लिए owner द्वारा लगाया पैसा को ही capital कहते है |

Example :- capital A/c , Drawing a/c etc
इस capital group का एक subgroup होता है -
a.Reserve Surplus
बिजनेस में कुछ ऐसे लेजर बनाने पड़ते हैं कि भविष्य की प्लानिंग के लिए पैसे रखने पड़ते हैं उसके लिए जो लेजर बनाया जाता है उनको reserve surplus ग्रुप में रखते हैं

2. Loans (Liability)
जब हम किसी से पैसे उधार लेते है जिसे चुकाना हमारा कर्तव्य है। ये long term loan होते है जिसे 1 साल के बाद भी चुकाया जा सकता है |
इसके 3 subgroups है-

a.Bank O/D (Bank Overdraft) & Bank OCC(Bank Overdraft cash credit):-
जब भी हम किसी Bank से Loan लगे तो Bank Loan का जो Ledger होगा उसको हमको Bank o/d या Bank Occ में से किसी भी एक Group में रखना होगा।
b.Secured Loans:
जब भी हम ऐसा Loan लेते है जो Bank के सिवा आपने किसी और से लिया है मतलब की कोई Security को रखकर आपने कोई Loan लिया है तो उसे हम Secure Loan के Group में रखेंगे.
Example आपने Bajaj Finance से कोई Loan लिया है,जैसे Car Finance पर ली है, Gold Loan लिया है, Building को गिरवी रखकर Loan लेना चाहते है,
इस तरह के Loan जिनमे आपको Security रखकर फिर Loan ले रहे है, ऐसे सभी Loans को हम Secure Loans के Group में रखेंगे।
c.Unsecured Loans:- जब हम अपने किसी Friends या फिर Relatives से कोई Loan लेते है तो उन्हें हम Unsecured Loans के Group में रखते है।

3.Current Liabilities
व्यापार में कुछ ऐसे लेन-देन होते हैं जिन को पैसा देना या लेना हमारा दायित्व होता है जैसे मान लीजिए आपके व्यापार में कोई कर्मचारी है और उसका सैलरी पिछले monthका या पिछले साल (years) का बाकी है तो उसका पैसा देना आपका दायित्व है या आप किसी बैंक से लोन लिए हैं तो वह बैंक का पैसा रिटर्न करना समय अवधि के अनुसार जमा करना आपकी दायित्व(liabilities) है.

a. Duties&Taxes:
Income Tax को छोड़कर जितने भी तरह के Tax हम Use करते है उन सभी Tax के Ledgers को हम Duties And Taxes Ledgers में रखते है।। Example Sales Tax, CST, VAT, TDS, Service Tax, GST, SB Cess, KK Cess, Surcharges Etc.
b. Provision:
Business में Future Coss से बेचने के लिए हमे कुछ funds बनाने पड़ते है,उन्हें ही हम Provision कहते है। Example: Provision For Bad debts, Provision For Income Tax, Provision For Sundry Creditors, Provision For Sundry Debtors.
c.Sundry Creditors:
Business में हमे जिन Parties से या फिर जिन लोगो से (Credit) पर माल को खरिदते है और जिनको की हमको पैसे देने होते है उन सभी Ledger’s को हम Sundry Creditors के Group में रखेंगे।

4. Fixed Assets:
ऐसे Property मतलब सम्पति जो हम Sale करने के लिए नही खरिदते और जो Life Long होती है ,उपयोग करने के लिए उनको हम Fixed Assets के Group में रखते है।
Example Plant, Machinery, Building, Land, computer, car, Furniture, Cycle Etc.

a Tangible asset :- जिन्हे छू सकते है उसे tangible asset कहते है जैसे furniture, machinery, land, building,car,bike आदि।
b Intangible asset:- जिन्हे छू नहीं सकते उसे intangible asset कहते है जैसे Goodwill, branding name आदि।

5.Investment:
ऐसा निवेश जिसमे समय सीमा और लाभ पूण निर्धारित नही होता और आप ऐसे निवेश करए है,जिसमे आपको पता नही होता है कि Profit होगा या नही होगा, या फिर होगा तो कितने समय के बाद होगा, ये भी Fixed नही की Profit होगा कि Loss. अगर देखा जाए तो Loss भी हो सकता है तो ऐसे Legers को हम Investment Group में रखेंगे।
Example- Share, Mutal Funds, Lottery.

6. Current asset
चालू संपत्ति:- ऐसे asset जो sale , purchase करने के उद्देश्य से business में लाई जाती है इसके 6 subgroups है,

a. Bank Account:
जो भी हमारे Current Account या Saving Bank Account का Ledger हो तो उसे हम Bank account Group में रखेंगे Example: SBI Bank A/c, PNB Bank A/c, IDBI Bank A/c etc.
b.Deposit(Assets):
जब भी हम ऐसा कोई Investment करते है जिसमे हमे Time-Period और Profit Decide हो और हमको पहले से पता हो कि मै कितना पैसा Invest कर रहा हूँ और मुझे इतने time के बाद पैसा मिल जाएगा,तो उसको हम Deposit(Assets) के Groups में रखेंगे।
Example- FD (Fixed Deposit), RD, KVP, NSC, PPF या फिर Gov की जितनी भी योजना होती है, Bonds होते है उनको हम Deposit(Assets) Group में रखते है।.
c.Loan& Advance (Assets):
जब हमें किसी को Loan देना हो या फिर Advance Payment करना हो तो उसको हम Loan & Advance(Assets) के groups में रखेंगे। Example- Advance Salary Loan To Deepak Etc.
d.Cash in hand
व्यापार में जो राशि हमको कैसे प्राप्त होती है अर्थात हाथो हाथ किसी व्यक्ति से प्राप्त होता है वह कैश इन हैंड ग्रुप में रखते हैं.
e.Sundry Debtors:
ऐसे सभी Parties जिनको हम उधार पर माल Sale करते है और जिनसे हमे पैसे लेने होते है,उन सभी Ledgers को हम Sundry Debtors के Group में रखेंगे।
f.-Stock in hand:- Business मे हमारे पास जितने भी stock होते है उसे Stock in hand कहते है।

7.Branch /Division:-
जब भी कोई Company जिसकी बहुत सारी ब्रान्च है, वो भी अलग-2 State में या फिर District में तो वो Branch/Division की मदद से Bank Account Open कर सकती है इस तरह के Account को हम Branch/Division के Group में रखेंगे।। Example जैसे कि Delhi की Branch अलग और Allahabad की Branch अलग।

8. Mics. Expenses:- ऐसे छोटे मोटे खर्च जो हमे पता ना हो उसे मिक्स. Expenses कहते हैं। या assets में होने वाले खर्च जिससे assets की value बढ़ जाता है | Ex. painting , repairing.

9.Suspens A/c
साथियों व्यापार में कुछ ऐसे राशि होती है जिनके बारे में कुछ पता नहीं होता की वह किस प्रकार की राशि है तो उसको सस्पेंस अकाउंट में रखते हैं

10. Sale Account:
हम जो भी माल (Goods) को Sale और Sale Return करेगे,तो उन सभी को हम Sales Account के Group में रखेंगे।

11.Purchase Account:
हम जो भी माल (Goods) को Purchase और Purchase Return करेगे, उन सभी Ledger को हम Purchase Group में रखेंगे।

12. Direct Income:- Business मे जो goods sale ya purchase करने से जो आय होती है उसे Direct Income कहते हैं। (main source of income )

13.Direct Expenses:
वो सभी खर्चें (Expenses) जो Factory से Related होते है और हमारे Production को Effect करते है,उन सभी Ledgers को हम Direct Expenses में रखते है। Example. Wages, Power bill, Factory Rent, Factory Insurance, Carriage Inward Etc.

14.Indirect Incomes:
ऐसी Incomes जो Goods को Sale करने के अलावा हमे Received होती है उन सभी के Ledgers को हम Indirect income के Group में रखते है। Example: Discount Receipt, Rent Receipt, Commission Receipt, Interest Receipt Etc.

15.Indirect Expenses:
ऐसे सभी खर्चें (Expenses) जो Office से Related होते है, उन्हें हम Indirect Expenses के Group में रखते है Example: Discount Paid, Rent Paid, Commission Paid, Interest paid, Bad Debts, Salary Paid Etc




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