Introduction
Introduction:-
कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रा निक मशीन है, जो डाटा तथा निर्देशों को इनपुट के रूप में ग्रहण करता है, निर्देशों के अनुरूप आवश्यक परिणामों को निश्चित प्रारूप में आउटपुट करता है। यह डाटा, निर्देश तथा परिणामों को store भी करता है ताकि आवश्यकतानुसार इनका उपयोग किया जा सके। यह डाटा के भंडारण (storage) तथा तीव्र गति और त्रुटि रहित ढंग से कार्य करता है।
Definition:-
Computer एक electronic device (उपकरण) है जो डेटा (data) इनपुट (input) के रूप में लेता है फिर उसे प्रोसेस (process) करता है तथा परिणामों (result) को आउटपुट (output) के रूप में हमें देता है |
दुसरे शब्दों में कहा जाये तो , computer एक ऐसा आधुनिक यंत्र है जो अनेक कार्य(work) को बहुत तेजी (fast) और सरलता से करता है|कम्प्यूटर शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के कम्प्यूट (Compute) शब्द से हुई है जिसका अर्थ है- गणना करना। इसे हिंदी में ‘संगणक’ कहा जाता है।
Fullform of computer :-
C- Calculation/ Commonly -- गणना O- Operative/ Operating -- क्रियाशील
M- Mechanics/ Machine -- यांत्रिकी
P- Processing/ Particularly -- प्रक्रिया
U- Useful/ Used for -- उपयोगी
T- Trade/Technical -- तकनिकी
E- Extensive/Education -- विस्तार(शिक्षा)
R- Research -- ढूढाना(शोध)
Parts of computer System :-
किसी भी कम्प्यूटर सिस्टम को मुख्यतः 2 भागो में बांटा जा सकता है-1. –Hardware
2. – Software
1.Hardware: कम्प्यूटर मशीन का वह भाग जिसे हम देख और छू (Touch) कर महसूस कर सकते हैं। जैसे-की-बोर्ड, माउस, मॉनीटर, सीपीयु प्रिंटर, हार्ड डिस्क ड्रा इव, मदरबोर्ड, प्रोसेसर, स्पीकर आदि।
2.Software : अनुदेशों और प्रोग्रामों का समूह जो कम्प्यूटर को यह बतलाता है कि उसे क्या और कैसे करना है, साफ्टवेयर कहलाता है। कम्प्यूटर का हार्डवेयर, साफ्टवेयर के अनुदेशों के अनुसार ही काम करता है। एक ही हार्डवेयर अलग अलग साफ्टवेयर निर्देशों के आधार पर अलग-अलग कार्य कर सकता है। साफ्टवेयर को हम छु नहीं सकते और न ही देख सकते हैं। इस प्रकार, हार्डवेयर यदि कम्प्यूटर का शरीर है तो साफ्टवेयर उसकी आत्मा है। प्रोग्रामों के समुच्चय को, जो कम्प्यूटर के विभिन्न कार्यों के सफल क्रियान्वयन के लिए उत्तरदायी होता है, साफ्टवेयर कहा जाता है।
Some Important Words-
डाटा (Data) : डाटा कच्चे तथ्यों (raw facts) थ्यों और सूचनाओं का अव्यवस्थित संकलन है जिससे कोई सार्थक निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। डाटा को दो प्रकार में विभाजित किया जा सकता है-
a .Numerical data : यह अंको से बना डाटा है जिसमें 0,1, 2……..9 तक अंकों का प्रयोग किया जाता है। इस तरह के डाटा पर हम अंकगणितीय क्रियाएं कर सकता हैं।
b . Alphanumeric data : इसमें अक्षरों (A to Z), रों अंकों ( 0 to 9) तथा चिह्( !,@,#,$,%,^,&,*, ...)का प्रयोग किया जाता है।
Information: डाटा का उपयोगिता के आधार पर किये गये विश्लेषण और संकलन के बाद प्राप्त तथ्यों को सुचना कहते हैं। इस प्रकार, डाटा अव्यवस्थित तथ्य है जबकि सूचना व्यवस्थित डाटा है जो प्रयोग करने वालों के लिए उपयोगी होता है.
Information Retrieval : आवश्यकता सूचना को पुनः प्राप्त करने की विधि सूचना प्राप्ति कहलाता है.
Data Processing : डाटा का उपयोगिता के आधार पर किया जाने वाला विश्लेषण डाटा प्रोसेसिंग कहलाता है।
Instruction : कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए दिए गए आदेशों को अनुदेश कहा जाता है।
Program : कम्प्यूटर को दिए जाने वाले अनुदेशों के समूह को प्रोग्राम कहा जाता है।
Computer Literacy/कम्प्यूटर साक्षरता:-कम्प्यूटर साक्षरता का अर्थ है—कम्प्यूटर और उससे संबंधित तकनीक का दैनिक जीवन में उपयोग कर पाने में सक्षम होना। एक कम्प्यूटर साक्षर व्यक्ति कम्प्यूटर की कार्यक्षमता को जानता है तथा प्रतिदिन के कार्यों के लिए उसे निर्देश दे सकने में सक्षम होता है। कम्प्यूटर साक्षरता को डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy) भी कहा जाता है।
Characteristics of Computer :-
1. Speed/गति : कम्प्यूटर एक सेकेण्ड में लाखों गणनाएं कर सकता है। किसी मनुष्य द्वारा पूरे साल में किए जाने वाले कार्य को कम्प्यूटर कुछ ही सेकेण्ड मेंकर सकता है। कम्प्यूटर प्रोसेसर के स्पीड को (Hz) में मापते हैं। वर्तमान समय में कम्प्यूटर नैनो सेकेण्ड (10 Sec) में गणनाएं कर सकता है। कम्प्यूटर कीगति को एक सेकेण्ड में प्रोसेस किए गए निर्देशों की संख्या के आधार पर मापा जाता है। वर्तमान में कम्प्यूटर एक सेकेण्ड में दस लाख (Million) से भी अधिक
निर्देशों को प्रोसेस कर सकता है। अतः प्रकम्प्यूटर की गति को MIPS (Million Instructions Per Second) में मापा जाता है।2. Automatic/स्वचालित : कम्प्यूटर एक स्वचालित मशीन है जिसमें गणना के दौरान मानवीय हस्तक्षेप की संभावना नगण्य रहती है। हालांकि कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए निर्देश मनुष्य द्वारा ही दिए जाते हैं, पर एक बार आदेश दिये जाने के बाद वह बिना रुके कार्य कर सकता है।
3. Accuracy/त्रुटि रहित कार्य : कम्प्यूटर की गणनाएं लगभग त्रुटिरहित होती हैं। गणना के दौरान अगर कोई त्रुटि (error) पायी भी जाती है तो वह प्रोग्राम या डाटा में मानवीय गलतियों के कारण होती है। अगर डाटा और प्रोग्राम सही हैं तो कम्प्यूटर हमेशा सही परिणाम ही देता है। कभी-कभी वायरस (Virus) के कारण भी कम्प्यूटर में त्रुटियां आ जाती हैं।
(iv) स्थायी भंडारण क्षमता (Permanent Storage): कम्प्यूटर में प्रयुक्त मेमोरी को डाटा, सूचना और निर्देशों के स्थायी भंडारण के लिए प्रयोग किया जाता है। चूंकि कम्प्यूटर में सूचनाएं इलेक्ट्रा निक तरीके से संग्रहित की जाती हैं, अतः सूचना के समाप्त या नष्ट होने की संभावना कम रहती है।
(v) विशाल भंडारण क्षमता (Large Storage Capacity) : कम्प्यूटर के बाह्य (external) तथा आंतरिक (internal) संग्रहण माध्यमों (मों हार्ड डिस्क, फ्लापी डिस्क, मैग्नेटिक टेप, सीडी रॉम) में असीमित डाटा और सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है। कम्प्यूटर में सूचनाएं कम स्थान घेरती हैं, अतः इसकी भंडारण क्षमता विशाल और असीमित है।
(vi) भंडारित सूचना को तीव्रगति से प्राप्त करना (Fast retrieval) : कम्प्यूटर प्रयोग द्वारा कुछ ही सेकेण्ड में भंडारित सूचना में से आवश्यक सूचना को प्राप्त किया जा सकता है। रैम (RAM-Random Access Memory) के प्रयोग से यह काम और भी सरल हो गया है।
(vii) जल्द निर्णय लेने की क्षमता (Quick decision) : कम्प्यूटर परिस्थितियों का विश्लेषण कर पूर्व में दिये गये निर्देशों के आधार पर तीव्र निर्णय की क्षमता रखता है।
(viii) विविधता (Versatility) : कम्प्यूटर की सहायता से विभिन्न प्रकार के कार्य संपन्न किये जा सकते हैं। आधुनिक कम्प्यूटरों में अलग-अलग तरह के कार्य एक साथ करने की क्षमता है।
(ix) पुनरावृत्ति (Repetition) : कम्प्यूटर को आदेश देकर एक ही तरह के कार्य बार-बार समान विश्वसनीयता और तीव्रता से कराये जा सकते हैं।
(x) स्फूर्ति (Agility) : कम्प्यूटर एक मशीन होने के कारण मानवीय दोषों से रहित है। इसे थकान तथा बोरियत महसूस नहीं होती है और हर बार समान क्षमता से कार्य करता है।
(xi) गोपनीयता (Secrecy) : पासवर्ड (Password) के प्रयोग द्वारा कम्प्यूटर के कार्य को गोपनीय बनाया जा सकता है। पासवर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में रखे डाटा और कार्यक्रमों को केवल पासवर्ड जानने वाला व्यक्ति ही देख या बदल सकता है।
(xii) कार्य की एक रूपता (Uniformity of work) : बार-बार तथा लगातार एक ही कार्य करने के बावजूद कम्प्यूटर के कार्य की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
(xiii) विश्वसनीयता (Reliability) : कम्प्यूटर प्रोसेस के पश्चात् सही व भरोसेमंद परिणाम देता है तथा गलती की संभावना नगण्य होती है।
(xiv) कागज के प्रयोग में कमी (Paperless Work): कम्प्यूटर के सही प्रयोग से कागज की खपत में कमी की जा सकती है जिससे पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलती है।
Limitations of the Computer:-
(i) बुद्धिहीन (No mind) : कम्प्यूटर में स्वयं की सोचने और निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती। यह केवल दिये गये दिशा- निर्देशों के अंदर ही कार्य कर सकता है।(ii) खर्चीला (Expensive) : कम्प्यूटर के हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर काफी महंगे होते हैं तथा इन्हें समय-समय पर आवश्यकतानुसार परिवर्तित भी करना पड़ता है।
(iii) वायरस का खतरा (Immune to virus) : कम्प्यूटर में वायरस का खतरा बना रहता है जो सचना और निर्देशों को दूषित या समाप्त कर सकता है। ये वायरस कम्प्यूटर की भंडारण क्षमता को भी प्रभावित करते हैं। हालांकि एंटीवायरस साफ्टवेयर (Antivirus Software) का प्रयोग कर इससे बचा जा सकता है।
(iv) विद्यु त पर निर्भरता (Depends on Electricity) : कम्प्यूटर अपने कार्य के लिए विद्यत पर निर्भर करता है तथा इसके अभाव में कोई भी कार्य संपन्न कर पाने में सक्षम नहीं है।
Applications of Computer :-
कम्प्यूटर का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है। वर्तमान में, शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां कम्प्यूटर का प्रयोग नहीं किया जा रहा है , आजकल शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा, जिसमें कम्प्यूटर का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। पर्यावरण, पुस्तकालय, यातायात, पलिस प्रशासन, मौसम विज्ञान,
संगीत, चित्रकला, ज्योतिष, इंजिनियरिंग डिजाइन आदि अनेक क्षेत्रों में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है। निम्नलिखित क्षेत्रों मेंकम्प्यूटर का विभिन्न अनुप्रयोग किया जा रहा है :- (i) डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing) : बड़े और विशाल सांख्यिकीय डाटा से सूचना तैयार करने में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है। जनगणना,सांख्यिकीय विश्लेषण, परीक्षाओं के परिणाम आदि में इसका प्रयोग किया जा रहा है।
(ii) सूचनाओं का आदान-प्रदान (Exchange of Information) : भंडारण की विभिन्न पद्धतियों के विकास और कम स्थान घेरने के कारण ये सूचनाओं केआदान-प्रदान के बेहतर माध्यम साबित हो रहे हैं। इंटरनेट (Internet) के विकास ने तो इसे ‘सूचना का राजमार्ग’ (Information Highway) बना दिया है।
(iii) शिक्षा (Education) : मल्टीमीडिया (Multimedia) के विकास और कम्प्यूटर आधारित शिक्षा ने इसे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बना दिया है। डिजिटल लाइब्रेरी ने पुस्तकों की सर्वसुलभता सुनिश्चित की है।
(iv) वैज्ञानिक अनुसंधान (Scientific Research) : विज्ञान के अनेक जटिल रहस्यों को सुलझाने में कम्प्यूटर की सहायता ली जा रही है। कम्प्यूटर में परिस्थितियों का उचित आकलन भी संभव हो पाता है।
(v) रेलवे और वायुयान आरक्षण (Railway and Airlines Reservation) : कम्प्यूटर की सहायता से किसी भी स्थान से अन्य स्थानों के रेलवे और वायुयान के टिकट लिये जा सकते हैं तथा इसमें गलती की संभावना भी नगण्य है।
(vi) बैंक (Bank) : कम्प्यूटर के अनुप्रयोग ने बैकिंग क्षेत्र में क्रांति ला दी है। एटीएम (ATM-Automatic Teller Machine) तथा ऑनलाइन बैंकिंबैं किं ग, चेक केभुगतान, इ.सी.एस. (Electronic Clearing Service), रुपया गिनना तथा पासबुक इंट्री में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है।
(vii) चिकित्सा (Medicine) : शरीर के अंदर के रोगों का पता लगाने, उनका विश्लेषण और निदान में कम्प्यूटर का विस्तत प्रयोग हो रहा है। सीटी स्कैन,अल्ट्रा साउंड, एक्स-रे तथा विभिन्न जाँच में कम्प्यूटर का प्रयोग हो रहा है।
(viii) रक्षा (Defence) : रक्षा अनुसंधान, वायुयान नियंत्रण, मिसाइल, रडार आदि में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है।
(ix) अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (Space Technology) : कम्प्यूटर के तीव्र गणना क्षमता के कारण ही ग्रहों, हों उपग्रहों और अंतरिक्ष की घटनाओं का सूक्ष्म अध्ययन कियाजा सकता है। कृत्रिम उपग्रहों मे भी कम्प्यूटर का विशेष प्रयोग हो रहा है।
(x) संचार (Communication) : आधुनिक संचार व्यवस्था कम्प्यूटर के प्रयोग के बिना संभव नहीं है। टेलीफोन और इंटरनेट ने संचार क्रांति को जन्म दिया है। तंतु प्रकाशिकी संचरण (Fibreoptic communication) में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है।
(xi) उद्योग व व्यापार (Industry & Business) : उद्योगों में कम्प्यूटर के प्रयोग से बेहतर गुणवत्ता वाले वस्तुओं का उत्पादन संभव हो पाया है। व्यापार में कार्यों और स्टाक का लेखा-जोखा रखने में कम्प्यूटर सहयोगी सिद्ध हुआ है।
(xii) मनोरंजन (Recreation) : सिनेमा, टेलीविजन के कार्यक्रम, वीडियो गेम में कम्प्यूटर का उपयोग कर प्रभावी मनोरंजन प्रस्तुत किया जा रहा है। मल्टीमीडिया के प्रयोग ने कम्प्यूटर को मनोरंजन का उत्तम साधन बना दिया है।
(xiii) प्रकाशन (Publishing) : प्रकाशन और छपाई में कम्प्यूटर का प्रयोग इसे सुविधाजनक तथा आकर्षक बनाता है। रेखाचित्रों और ग्राफ का निर्माण अब सुविधाजनक हो गया है।
(xiv) प्रशासन (Administration): प्रशासन में पारदर्शिता लाने, सरकार के कार्यों को जनता तक पहंचाने तथा विभिन्न प्रशासनिक तंत्रों में बेहतर तालमेल के लिए ई-प्रशासन (e-governance) का। उपयोग कम्प्यूटर की सहायता से ही संभव हो पाया है।
(xv) डिजिटल पुस्तकालय (Digital Library): पुस्तकों का अंकीय स्वरूप प्रदान कर उन्हें अत्यंत कम स्थान में अधिक समय के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। इसे इंटरनेट से जोड़ देने पर किसी भी स्थान से पुस्तकालय में संग्रहित सूचना को प्राप्त किया जा सकता है।
Some Important Questions for Competition Exam:-
➢ आधुनिक computer का जनक(father of computer) "charles babbage" को कहा जाता है |➢ आधुनिक computer science का जनक "Allen Turring" को कहा जाता है |
➢ Personal computer के जनक(father) “Edward Robert“ को कहा जाता है |
➢ भारत में निर्मित प्रथम computer का नाम सिध्दार्थ है |
➢भारत में पहला कम्प्यूटर भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute) कलकत्ता में सन 1956 में स्थापित किया गया था।
➢2 दिसंबर प्रतिवर्ष विश्व कम्प्यूटर साक्षरता दिवस (Computer Literacy Day) के रूप में मनाया जाता है।
➢भारत में कम्प्यूटर का प्रथम प्रयोग 16 अगस्त, 1986 को बंग्लुरू के प्रधान डाकघर में किया गया।
➢भारत का प्रथम पूर्ण कम्प्यूटरीकृत डाकघर नई दिल्ली है।
➢ हर क्षेत्र में कम्प्यूटर के वृहद अनुप्रयोग के कारण आधुनिक युग को ‘कम्प्यूटर युग’ (Computer age) की संज्ञा दी जाती है तथा कम्प्यूटर आधारित सूचना तकनीक को Information Technology कहा जाता है।
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